मैथिली गीत
हे रे चन्दा लेने जो सनेस पिया परदेश रे..........चन्दा....।
तोहें ने उगै छ आन्हर राति
बिसरल रहै छी पिया केर पाँती
तोंहे जाँ उगै छ दीया बाती दीया बाती
होइये मोन मे कलेश रे ...........चन्दा...... ।
हम्मर दुःख केयो ने बुझैया
कोना ओ रहै छथि केयो ने कहैया
कहियौन्ह विकल छैन्ह हुनकर दासी हुनकर दासी
रुसल किए छथि महेश रे ...........चन्दा....... ।
हे रे चन्दा लेने जो सनेस पिया परदेश रे..........चन्दा....।
तोहें ने उगै छ आन्हर राति
बिसरल रहै छी पिया केर पाँती
तोंहे जाँ उगै छ दीया बाती दीया बाती
होइये मोन मे कलेश रे ...........चन्दा...... ।
हम्मर दुःख केयो ने बुझैया
कोना ओ रहै छथि केयो ने कहैया
कहियौन्ह विकल छैन्ह हुनकर दासी हुनकर दासी
रुसल किए छथि महेश रे ...........चन्दा....... ।
-लल्लन प्रसाद ठाकुर-
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