Wednesday, August 24, 2022

साढूनामा (कव्वाली, तेसर कड़ी )

(कैयक साल सौराठ सभा गेलाक बाद बsरक विवाह भs जायत छैन्ह, आ ओकर बाद होली में हुनक साढू सब सेहो पहुँचति छथि। होली में सब साढूक जुटान होइत छैक। विवाहक बादक साढूक व्यथा )

                                                                            "साढूनामा"
सासुर थिक कैलाशे ........दूर हो कि पासे , 
सारि सारक गप्प कोन 
सास ससुर दासम दासे। 
तs अहीं कियाक अघुतायल छी यौ साढू , 
एखैन्ह तs भेल एके मासे। 

बहुत जतन सs होइत छैक विवाह मनुख के, 
सुखक आरम्भ आ अंत दुःख के। 
आ...भक्तक लेल जेना मन्दिर -मस्जिद गुरुद्वारा, 
मैथिलक लेल मोहिनी मुरतिया संs सुशोभित ससुर द्वारा। 
तs प्रेमक व्यापार करू, 
छप्पन तरहक व्यंजन मुफ्तहिं उदरस्थ करू। 
लगैत नहिं छैक कोहबर घरक कोनो भाड़ा, 
संठी सन जे अबैत छथि, 
मोटा कs मोटा कs भs जायत छथि पाड़ा। 
तs अहीं कियैक अघुतायल छी यौ साढू , 
एखैन्ह तs भेल एके मासे।
 
नय गाम परहक झंझट , 
नय बाबू के फटकार , 
बाबू खुश भेला लय हजारक हजार। ........2
जिन्दगी में आयल बहारे बहार, 
चान सनक सारि आ फूल सनक सार। 
स्वर्णिम अक्षर संs लिखायत ओ चातुर्थिक राति, 
जखन नोन देल भोजन पर सोन सन मुखराक दर्शन भेल छल। 
मोन में इ झंकार भेल छल आ ह्रदय में ई गर्जन भेल छल। 
की गर्जन भेल छल ? 
हमरा तs लूटि लिया मिलके हुस्न वालों ने, 
गोरे गोरे गालों ने, काले काले बालों ने। 
हम छोरि चलल छी सासुर के, 
हमरा कथि लेल रोकय छी। 
मुश्किल सs कतेक जतरा कयलहुं, 
पाछू सs कथि लेल टोकय छी। 

नय चान सनक सारि, 
नय सार गुलाबक फूल, 
विवाह जे कs लेलहुँ, से भेल भारी भूल। 
नय छप्पन तरहक भोजन, 
ससुर के लाचारी, 
यौ डेढ़ आंखि वाली सासु गाबथी नचारी। 
यौ कठ्खोधी सन मुँह वाली हमर घरवाली, 
सड़क पर जोँ चलती तs कहतैन मदारी। 
बच्चों बजाओ ताली ....२ 
नय चतुर्थिक राति नय होली नय बरसाति, 
यौ कर्मक लिखल कहल गेल छय सुआति। 
जिन्दगी संs साढू हम मानि गेलौं हारी, 
गेलौं नेपाल सँग गेलय कपार । 
पहिने सs अधिक दुखी छी हम, 
छूरा कथि लेल भोंकय छी। 
हम छोरि चलल छी सासुर के .................
पाछू सs कथि लेल टोके छी........ ।

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर 
संगीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर

सभागाछी सौराठ (कव्वाली, दोसर कड़ी)

(एकटा बsरक बाप सब साल अपन बेटा के लs कs सौराठ सभा जायत छथि मुदा ओहिना आपस भs जायत छथि।विवाह नहि भs पबैत छैन्ह।बsर के इ नीक नय लागैत छैन्ह। इ ओहि बरक व्यथा छैन्ह। )

"सभागाछी
सौराठ"
बsर - आ ...आ...आ... 
चारिम बरख थिक जे आपस जायब , 
जायब जं आपस त फेर नय आयब 
सुनि लिय बाबू यो सुन लिय भैया , 
जतबो भेटैया नय भेटत रुपैया
मुदा हमरे ....तs हमरे करम कियाक एहेन भs गेल ......२ 
सब - चारि बेर एला बियाहे नय भेल .........2 

पिता - आ ....आ....आ....अगुताउ जुनि,घबराऊ जुनि 
अगुताउ जुनि घबराऊ जुनि हेबे करत , 
क्यो नय क्यो माल देबे करत ....2 
बौआ एकरे कहे छय कर्मक खेल, 
केहेनो ठाम कोना दिय ढकेल, 
अगुताउ जुनि घबराऊ जुनि हेबे करत क्यों नहि क्यों माल देबे करत.... 
सहयोगी - मुदा हिनके .......मुदा हिनके करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलाह बियाहे नय भेल.....२ 

बsर - कोना नय अगुताइ अहिं सब कहू, 
तिसम बरख वयस अछि, 
आब कते दिन असगर रहू ,
चतुर्थिक सौजन स्वप्न बनल जाइत अछि , 
छप्पन तरहक व्यंजन कोना लोक खाइत अछि, 
बाबू अहांक गप्प आब नय सोहाइत अछि , 
हाय रे हमर करम नय जानि कतs ओ बौआयति अछि। 
सहयोगी- मुदा हिनके करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलाह बियाहे नय भेल..............२ 

बsर - कहलियै करम के रे केहनो तो आन, 
आँखि से आन्हर हो कि बहिर हो कान, 
कहेनो तो देबैं सब अछि कबूल, 
पैर सs नांगुर हो वा हो कोनो लूल, 
मुदा हमरे करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलहुँ बियाहे ने भेल.........बियाहे नय भेल......१ 
सहयोगी- मुदा हिनके .करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलाह बियाहे नय भेल.............बियाहे नय भेल.......२ 

पिता - एतेक जे अगुतायल छी जे आन्हर बहिर, जेहेन तहेन कनियाँ चाहैत छी, 
जीबैत जीबैत जाँ नर्क भोगs चाहैत छी, 
तs उढ़डि जाउ ककरो संग, 
हमरा किछु नय कहू, 
बुझि लिय जे बाप मरि गेला,
माय मरि गेली ओकरे संग कतौ जा कs रहू .............. 
सहयोगी - मुदा हिनके करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलाह बियाहे नय भेल.......बियाहे नय भेल-.....२ 

पिता - आ.........आ.......आ.......... हमारा सs पैघ शुभ चिन्तक के भs सकैत अछि 
जे टाकाक संग -संग नीक लोक नीक घsर तकैत अछि 
आ.....आ....ससुर एहेन जे खूब मालदार हो, 
कोनो छोट मोट थानाक हवालदार हो। 
एक अदद मात्र दुलरुआ सार हो, सुंदर सुंदर सारिक जतय भरमार हो ..... 
सहयोगी- मुदा हिनके .करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलाह बियाहे नय भेल................बियाहे नय भेल......२ 
बsर - मुदा हमरे मुदा हमरे करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलहुँ बियाहे ने भेल......बियाहे नय भेल ......२ 

पिता - सासु अहांक चलवा फिरवा में लाचार हो, 
अहींक कनियाँक हाथ में घरक सब कारोबार हो, 
कहैत छियैन्ह भगवान् के जल्दी पठा दिय, 
जेकरा लग रुपैया पचास हजार हो .... 
बsर - आ....आ....बाप हमर खुश होथि आ ...स्वप्न हमर साकार हो 
मुदा हमरे मुदा हमरे करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलहुँ बियाहे ने भेल.....बियाहे नय भेल ...२ 
सहयोगी - मुद्दा हिनके मुदा हिनके .करम कियैक एहेन भs गेल
चारि बेर अयलाह बियाहे नय भेल...........बियाहे नय भेल....२ 
 
(एक घटकक प्रवेश ) 
 
बsर - बाबू..... बाबू...कियो आबि रहल अछि, 
बचि कs ई जा नय पाबय सभा सेहो आब उठि रहल अछि, आबि रहल अछि....
बाबू.... ... आबि रहल अछि। 
पिता - चोप ...चोप गधा चोप .... 
घटक - नमस्कार 
पिता - चोप 
घटक - की? 
पिता - नमस्कार 
घटक - हे हे हे हे नमस्कार ......नमस्कार की पढ़ल छी ? 
पिता - ABCD 
घटक - की करय छी ? 
बsर - EFGH 
घटक - हूँ ....हूँ....कतेक टाका...? 
पिता - पचास हजार ..... 
घटक - बाप रे बाप ......बहुत महग अछि ..... बहुत महग अछि .......
बाप रे बाप ...बाप रे बाप ...(प्रस्थान ) 
बsर - इहो चलि गेल .....सभा उठी गेल .... 
प्राण पर हमर बनल बाबू ......अहांक लेल खेल .... 
सहयोगी - इहो चलि गेल .....सभा उठि गेल, 
प्राण पर हिनक बनल अहांक लेल खेल ... 
इहो चलि गेल ..... 

पिता - चोप ...चोप....गधा चोप ...... 
बsर - तमसाउ जुनि,.... खिसाउ जुनि ... 
तमसाउ जुनि , खिसिआउ जुनि बाप हमर ..... 
क्यो नय फंसैया की ई दोख हमर.....२ 
कनियाँ ............हे ये कनियाँ कतय छी हमर हुजूर .... 
लोक तकैत अछि बsर के हम तकय छी ससुर ... 
सहयोगी - कनियाँ...हे यै कनियाँ कत छी हमर हजूर 
लोक तकैत अछि बsर के ई तकै छथि ससुर ....ई तकै छथि ससुर .... । 

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर 
संगीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर ठाकुर

Tuesday, August 23, 2022

घटकैती (पहिल कड़ी)

("श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर" रचित कव्वाली जे कि तीन श्रृंखला में छैक, आ गीत नाटिका के रूप में प्रस्तुत कायल जा सकैत अछि : 1-घटकैती  2- सभागाछी 3- साढूनामा)

घटकैती : एक व्यक्ति अपन बेटा के लs कs सौराठ सभा जायत छथि। ओ घटकैती कोना करैत छथि से अहि गीत नाटिका में छैक। :
घटकैती
घटक- पॉँच हजार 
पिता - नय 
घटक - दस हजार 
पिता - नय नय 
घटक - बीस हजार 
पिता - कनि आगू बढू 
घटक - पचीस हजार 
पिता -हाँ ........ 
पिता - अपने एलियै 
तकरे विचारि कs पच्चिसे पर हम कहलहुं हाँ, 
हमरा बौआ सन क्यो नय मिथिला में 
दियो लs कs ताकब जं
मैट्रिक पढ़लकय, 
आई ए केलकय, 
सोँचलों विवाह कs दियै त 
ससुर पढोथिन, नोकरी दिओथिन 
बेटी सs अपन स्नेह हेतैन्ह जओं, 
पच्चिसे पर तैं कहलौं हाँ 

घटक - आगू पढेबय नोकरी दिएबय, 
हमरे ऊपर में भार हेतय जं
अपने की केलियय, 
कोन बाघ मारलियय, 
बौआ के सिर्फ़ जन्मेला सs
एतेक टका के मांग करयछी, 
सोचियो कने तs अपने सs
माथ में दर्द कोनाक होइछय, 
बुझतिये होइत बेटी जं 
मानि जइयो कने कम्मे सं........ 
पॉँच हजार ................................2 

पिता - हम की केलियय, 
कोन खर्च केलियय, 
तकर हिसाब देखबय जं 
हॉस्पिटलक खर्चा दूधक पाई, 
मास्टर स्कूल के दिलियय जे
लमनचूस किताब आ कोपी, 
हजार हजार के किनलौं जे 
आ बौआ के माय के कष्ट जे भेलैंह, 
तकर हिसाब करतय के 
पच्चिसे पर हम कहलों हाँ ..............२ 

घटक - अपने महान अर्थशास्त्रक विद्वान, 
सबटा हिसाब जोड़ने छी 
हमर सलाह मानि लिय, 
आब जे हम कहय छी
अपनहूँ माय के कष्ट भेल हेतैन्ह, 
अपनहूँ के जनमेवा में 
तकरो हिसाब जोड़ी लिय, 
बेटा के सूली चढेबा में 
गप्प बेकार , जी सरकार, 
हमरा बूते नय लागत पार, 
अपने के बडका व्यापार, 
हम चलैत छी नमस्कार....नमस्कार ......... 

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर 
संगीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर