" लालमुनियाँ "
- लल्लन प्रसाद ठाकुर -
लालमुनियाँ अगहन के राज सौंसे दुनियाँ लालमुनियाँ ------
- लल्लन प्रसाद ठाकुर -
लालमुनियाँ अगहन के राज सौंसे दुनियाँ लालमुनियाँ ------
धाने बरियाती धाने सरियाती धाने बनल लोकनियाँ
लालमुनियाँ अगहन के..................................
लालमुनियाँ अगहन के..................................
करिया झुम्मर खेलय धान धरती गगन के चूमय धरती गगन के चूमय
बिह्वल अछि मजदूर किसान चिरइ दाना चूगय चिरइ दाना चूगय
झनन झनन झन झनन झनन झन बाजय तोहर पैजनियाँ
लालमुनियाँ अगहन.......................................
लालमुनियाँ अगहन.......................................
रंग बिरंगक चमकय सारी लहँगा तोहर चमकय लहँगा तोहर चमकय
सजल सजाओल हमर दुल्हनियाँ हवा सेहो आई गमकय हवा सेहो आई गमकय----
गाम नगरिया सौंसे डगरिया आइ बनल नचनियाँ
लालमुनियाँ अगहन ..................................
लालमुनियाँ अगहन ..................................
लहलह लहलह धानक बाली गढ़ा देबौ तोरा कानक बाली गढ़ा देबौ तोरा कानक बाली
गहना सौं हम लादि देबौ कट दही तों धानक बाली कट दही तों धानक बाली
दमदम दमदम दमकै लगतौ रंग तोहर जमुनियाँ
लालमुनियाँ .............................................
लालमुनियाँ .............................................
4 comments:
Waah !!! Manmohak !!!
'मैथिल माटीक सोंध महक सँ सुरभित अपनेक ई मधुमय लोकगीत पढि एक क्षण लेल त भेल जे गाम मे पहुंचि खरीफक फसिल कटा' रहल छी ! बड़ नीक रचना !!! प्रवाहपूर्ण आ प्रसादपूर्ण !! धन्यवाद आ उम्मीद जे भविष्य मे सेहो अपनेक लेखानीक चमत्कार सँ परिचय होएत रहत !!! जय मिथिला-जय मैथिली !!
रंजना , मनोज जी ,
अहाँ सबहक उत्साह वर्धन देखि हमरा निक लागल आ लिखबाक प्रेरणा .
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