"मधुर मधुर बाजय बाँसुरिया रे "
- लल्लन प्रसाद ठाकुर -
मधुर मधुर बाजय बँसुरिया रे नाचे गोपी बाला
गोपी बाला गोपी बाला गोपी बाला ...
मधुर मधुर बाजय ............... ........
कान्हा जी के बाँसुरी के तान निराला
तान निराला कान्हा तान निराला
मन के मोहे इ बँसुरिया रे मन के मोहे इ बँसुरिया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय ....................
बँसुरिया सुनि सुनि राधा मन डोले
राधा मन डोले कान्हा राधा मन डोले
राधा के तों कान्हा रसिया रे राधा के तों कान्हा रसिया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय .......................
कखनो के राधा सोचथि बाँसुरी सौतनिया
बाँसुरी सौतनिया कान्हाँ बाँसुरी सौतनिया
मुख सँ लगौने गोसैंया रे मुख सँ लगौने गोसैंया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय ..............................
- लल्लन प्रसाद ठाकुर -
मधुर मधुर बाजय बँसुरिया रे नाचे गोपी बाला
गोपी बाला गोपी बाला गोपी बाला ...
मधुर मधुर बाजय ............... ........
कान्हा जी के बाँसुरी के तान निराला
तान निराला कान्हा तान निराला
मन के मोहे इ बँसुरिया रे मन के मोहे इ बँसुरिया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय ....................
बँसुरिया सुनि सुनि राधा मन डोले
राधा मन डोले कान्हा राधा मन डोले
राधा के तों कान्हा रसिया रे राधा के तों कान्हा रसिया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय .......................
कखनो के राधा सोचथि बाँसुरी सौतनिया
बाँसुरी सौतनिया कान्हाँ बाँसुरी सौतनिया
मुख सँ लगौने गोसैंया रे मुख सँ लगौने गोसैंया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय ..............................
6 comments:
बहुत सुंदर रचना है लल्लन जी की, प्रणाम
सुरीली पदावली है. साधुवाद.
धन्यवाद वर्मा जी !
धन्यवाद ललित जी !
यह तो अब मेरी धरोहर है .
बहुत नीक रचना। एकदम कृष्णमय। अपनेक प्रयासक हम सराहना करैत छी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बड नीक लागल।
बहुत बहुत धन्यवाद ! मैं तो कोशिश कर रही हूँ की "श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर जी " की रचनाएँ लोगों तक पहुंचे .
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