"चंदा "
एक साधारण नौकरीहारा व्यक्ति एवम उसकी पत्नी .....दरवाजे पर दस्तक
प्रथम व्यक्ति (सँग में दू तीन गोटे ) - औ विजय बाबू छी यौ...... । विजय बाबू .....
(विजय बाबू घर सँ निकलैत छथि , पाछू पाछू हुनक पत्नी )
विजय - जी अपने लोकनि के चिन्हल नहि ?
दोसर व्यक्ति - औ जी चन्ह्बय कोना .. । ऑफिस सs आबि तs अहाँ घरे में सन्हियेल रहय छी तs चिन्हबय कोना ।
तेसर व्यक्ति - छोडू इ सब गप्प कुमार जी बाबू ...औ जी हमरा लोकनि परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं मंडली सँ आयल छी । विशाल स्तर पर एहि बेर मिथिला महोत्सव करबाक नेयार कयने छी ।
पहिल व्यक्ति - जगन्नाथ जी मुख्य अतिथि रहताह । रामेश्वर ठाकुर जी विशिष्ट अतिथि , आ कि कहय छे जे धनिक लाल मंडल जी प्रमुख अतिथि ।
विजय - वाह इ तs प्रसन्नताक गप्प थिक ।
दोसर - तs एहि लेल अपनेक सहयोग चाहि ।
विजय - जी कहल जाय कि सहयोग चाहि ।
दोसर - औ जी कतs घर अछि.......सहयोगक अर्थ नहि बुझय छियैक ?......सहयोग माने चन्दा ।
विजय - चन्दा .......
चारिम - कि भs गेल यौ ........सा रे गा म प ध नी सा जकाँ कहलियैक चन्दा ..................
विजय - जी किछुं नहि नेने अबैत छी (भातर जाइत छथि )
पहिल - पाँच टाका...
दोसर - मात्र पाँच टाका....
तेसर - पाँच टाका केवलम
विजय - जी हमर इयैह ओकाइत अछि ।
चारिम - कि कहैत छी यौ ..........अहाँक औकाइत के नहि जानैत अछि ।
दोसर - जाती हज़ार पाँच हज़ार सोचि कs आयल छी ओहि ठाम पाँच टाका मात्र ।
चारिम - औ जी कुमर जी बाबू बुझा गेल .......जखने चलबाक समय बिलाडि रास्ता काटी देने रहैक त बुझा गेल छल जे अजुका जतरा ठीक नहि .....यैह यौ विजय बाबू कम स कम ५१ टाका दियौ.....एहि सs कम में काज नहि चलत ।
विजय - ५१ टाका ....? इ त हमरा बहुत भारी परत आ हमर घरवाली ......
पहिल - घरवाली ......एहि ठाम सेहो घरवाली । यैह ठीक मिथिलावासिक सब सँ पैघ बिमारी ......बिना घरवाली सँ पूछने मिथिला महोत्सवक चंदो नहि दs सकैत छथि ।
दोसर - आ काका एकटा छलाह मैथिल कवि विद्यापति .....घरवाली के कनिको मोजर नहि दैत छलाह ......कतेको बरख तक इ नहि कहलाह जे उगना महादेव स्वयं छलाह ।
चारिम - औ जी कने हुनको मान मर्यादाक ख्याल राखू .....जाऊ ....५१ टाका नेने आऊ ।
(विजय मोन मसोसि कs भीतर जाइत छथि आ ५१ टाका आनि कs दैत छथि । आ वापस जाय कs कुर्सी पर बैस जाइत छथि । पत्नीक प्रवेश )
पत्नी - एना जँ चन्दा देबय तs भरि मास खायब कि ?
विजय - एखैंह हमर दिमाग खराब जुनि करू ......हम अपने बहुत परेशान छी ......जाऊ चाह बना कs नेने आऊ ।
( पत्नीक प्रस्थान । पार्श्व सँ एकटा हारमोनियम ढोलक वाला क सँग प्रवेश )
उडिया - छिता रामो ...छिता रामो ....छिता रामो ....छिता रामो
विजय - सुनैत छी यै.....कने देखू तs के अछि.......
पत्नी - के होयत फेर कोनो चन्दा वाला
विजय - चन्दा वाला .........
पत्नी - आर नहि तs की अहाँ के फ़ोकट में गीत सुनबय आयल अछि ।
विनय - औ ठहरू हमरा देखय दिय ।
पत्नी - जी नहि ....अहाँ चुप चाप बैसू .....हमरा देखय दियs ।
अहाँ त फेर १०१ टाका द देबय ।
( पत्नी बाहर उडिया लग पहुँचि क)
पत्नी -क्या है.....?
उडिया - मोँ आश्रम के लिए चन्दा दो मोँ।
पत्नी - आश्रम के चन्दा.... अभी पछिला रवि दिन तs ले गया है चन्दा ......
उडिया - ओ कोई दूसरा आश्रम होगी मोँ ....हम तs पहली बार आई है मोँ ।
पत्नी - नहि नहि जाइए ....एतय सँ ....फेरो कहियो बाद में आइएगा ।
उडिया - माँ .....दे दो माँ ...तेरा बाल बच्चा जुग जुग जियेगी माँ .......आश्रम को दे दो माँ ।
पत्नी (स्वतः ) - सरधुआ नय देबय त गारोयो तारियो नय पढि दिये।
उडिया - क्या बोला मोँ.....
पत्नी - कुछो नहीं ....रुकिए (भीतर जा क २ टाका कs नोट आनैत छथि )
उडिया - दू टाका मोँ .....मात्रो दू टाका ...
हारमोनियम वाला - टाका (हाथ सँ छिनैत ) दू टाका में तो बीडी का एक बंडल भी नहि आएगा ।
पत्नी - क्या अहाँ सब इस पैसे से बीडी पिएगा ...(टाका हाथ स छिनैत ) जाइए दूसरा घर देखिये ।
उडिया - (पुनः रुपैया छिनैत ) इ त बेवकूफ है मोँ .....कुछो समझता नहीं है (छिता रामो ....करैत प्रस्थान )
पत्नी - (बड़बराइत ) ई आश्रम के नाम पर चन्दा आ पियत बीड़ी ।
विजय - की भेल ये........कते में फरियायल ।
पत्नी - मात्र दू टाका अहाँ जकाँ ५१ टाका में नहीं ओह ....चहक पानियो जरी गेल होयत ।
विजय - छोडू चाह ....आबि क पीयब .....लाऊ झोडा पहिने तरकारी आनि दी ......हे आई आधा किलो दूध बेसी आनि देने छी .....कने काजू किसमिस दs कs बढ़िया सँ खीर बनाऊ ।
(प्रस्थान )
(बाहर सँ पहलवानक आवाज )
पहलवान - इकबाल बुलंद होखे साहेब के ...जाय बजरंगबली.....
पत्नी - (भीतर सँ ) कौन ...?
पहलवान - तानी दरबज्जा त खोलीं माई .....राउर इलाका में नाम रौशन करेबाला .....मुख्यमंत्री लालू यादव के हाथ से पुरस्कार प्राप्त हुरदंग पहलवान राउर दरबज्जा पर आइल बा।
(पत्नी बाहर आबैत छथि)
पहलवान - जाय बजरंगबली के माई ........माई ई पहलवान सरायकेला में होय वाला आल इंडिया कुश्ती में भाग लेवे जा रहल बा ....सौ दू सौ रुपैया दीं माई .....जे खा पी के ......सरवा सब पहलवान के उठा के पटक दी ......
पत्नी - (स्वतः ) सौ दू सौ .....आरौ बाप रे .....
देखिये ....साहब एकैन्ह नहीं हैं बाजार गए हैं ....एक घंटा बाद आइए ।
पहलवान - एक घंटा बाद ......माई एक घंटा में त केतना पहलवान के उठा के पटक दिहिले हम ...........राजा नैखिं त का रानी त बारी ...........
पत्नी - देखिये सब पैसा कौड़ी उहे रखते हैं तs हम कतs सs देंगे ।
पहलवान - का कहतें हैं माई ....राउर इ बात में त हमरा डाउटे लागता .....आजकल त घरे घर मेहरारू के राज चलता ।
पत्नी - अरे आप विश्वास काहे नहीं करते हैं .....एक घंटा बाद आइए
पहलवान - अच्छा छोड़ी माई ......ई पहलवान के एक लीटर दूधे पिला दिन ...........सेहत बने में मदद करी ।
पत्नी - दूध ....अरे उ तो बच्चा के लिए है और खीर के लिए ।
पहलवान - रौआ कैसन बात कर तानी माई ....एक दिन बच्चा के दूध न मिली त मर ना जाइ ..... आ खीर त दोसरो दिन खा सकिले .....हल्दी करीं ......टेम बर्बाद जुन करीं
(पत्नी डरे जा क दूध आनि द दैत छथिन्ह .......पहलवान दूध पी जाइत अछि , मुँह पोछैत .....जाय बजरंग बलि कहैत प्रस्थान)
(पत्नी माथ पकिर क बैस जाइत छथि )
पत्नी - आर नहि तs की अहाँ के फ़ोकट में गीत सुनबय आयल अछि ।
विनय - औ ठहरू हमरा देखय दिय ।
पत्नी - जी नहि ....अहाँ चुप चाप बैसू .....हमरा देखय दियs ।
अहाँ त फेर १०१ टाका द देबय ।
( पत्नी बाहर उडिया लग पहुँचि क)
पत्नी -क्या है.....?
उडिया - मोँ आश्रम के लिए चन्दा दो मोँ।
पत्नी - आश्रम के चन्दा.... अभी पछिला रवि दिन तs ले गया है चन्दा ......
उडिया - ओ कोई दूसरा आश्रम होगी मोँ ....हम तs पहली बार आई है मोँ ।
पत्नी - नहि नहि जाइए ....एतय सँ ....फेरो कहियो बाद में आइएगा ।
उडिया - माँ .....दे दो माँ ...तेरा बाल बच्चा जुग जुग जियेगी माँ .......आश्रम को दे दो माँ ।
पत्नी (स्वतः ) - सरधुआ नय देबय त गारोयो तारियो नय पढि दिये।
उडिया - क्या बोला मोँ.....
पत्नी - कुछो नहीं ....रुकिए (भीतर जा क २ टाका कs नोट आनैत छथि )
उडिया - दू टाका मोँ .....मात्रो दू टाका ...
हारमोनियम वाला - टाका (हाथ सँ छिनैत ) दू टाका में तो बीडी का एक बंडल भी नहि आएगा ।
पत्नी - क्या अहाँ सब इस पैसे से बीडी पिएगा ...(टाका हाथ स छिनैत ) जाइए दूसरा घर देखिये ।
उडिया - (पुनः रुपैया छिनैत ) इ त बेवकूफ है मोँ .....कुछो समझता नहीं है (छिता रामो ....करैत प्रस्थान )
पत्नी - (बड़बराइत ) ई आश्रम के नाम पर चन्दा आ पियत बीड़ी ।
विजय - की भेल ये........कते में फरियायल ।
पत्नी - मात्र दू टाका अहाँ जकाँ ५१ टाका में नहीं ओह ....चहक पानियो जरी गेल होयत ।
विजय - छोडू चाह ....आबि क पीयब .....लाऊ झोडा पहिने तरकारी आनि दी ......हे आई आधा किलो दूध बेसी आनि देने छी .....कने काजू किसमिस दs कs बढ़िया सँ खीर बनाऊ ।
(प्रस्थान )
(बाहर सँ पहलवानक आवाज )
पहलवान - इकबाल बुलंद होखे साहेब के ...जाय बजरंगबली.....
पत्नी - (भीतर सँ ) कौन ...?
पहलवान - तानी दरबज्जा त खोलीं माई .....राउर इलाका में नाम रौशन करेबाला .....मुख्यमंत्री लालू यादव के हाथ से पुरस्कार प्राप्त हुरदंग पहलवान राउर दरबज्जा पर आइल बा।
(पत्नी बाहर आबैत छथि)
पहलवान - जाय बजरंगबली के माई ........माई ई पहलवान सरायकेला में होय वाला आल इंडिया कुश्ती में भाग लेवे जा रहल बा ....सौ दू सौ रुपैया दीं माई .....जे खा पी के ......सरवा सब पहलवान के उठा के पटक दी ......
पत्नी - (स्वतः ) सौ दू सौ .....आरौ बाप रे .....
देखिये ....साहब एकैन्ह नहीं हैं बाजार गए हैं ....एक घंटा बाद आइए ।
पहलवान - एक घंटा बाद ......माई एक घंटा में त केतना पहलवान के उठा के पटक दिहिले हम ...........राजा नैखिं त का रानी त बारी ...........
पत्नी - देखिये सब पैसा कौड़ी उहे रखते हैं तs हम कतs सs देंगे ।
पहलवान - का कहतें हैं माई ....राउर इ बात में त हमरा डाउटे लागता .....आजकल त घरे घर मेहरारू के राज चलता ।
पत्नी - अरे आप विश्वास काहे नहीं करते हैं .....एक घंटा बाद आइए
पहलवान - अच्छा छोड़ी माई ......ई पहलवान के एक लीटर दूधे पिला दिन ...........सेहत बने में मदद करी ।
पत्नी - दूध ....अरे उ तो बच्चा के लिए है और खीर के लिए ।
पहलवान - रौआ कैसन बात कर तानी माई ....एक दिन बच्चा के दूध न मिली त मर ना जाइ ..... आ खीर त दोसरो दिन खा सकिले .....हल्दी करीं ......टेम बर्बाद जुन करीं
(पत्नी डरे जा क दूध आनि द दैत छथिन्ह .......पहलवान दूध पी जाइत अछि , मुँह पोछैत .....जाय बजरंग बलि कहैत प्रस्थान)
(पत्नी माथ पकिर क बैस जाइत छथि )
(पतिक प्रवेश )
विजय - एना मुँह कियैक लटकल अछि ये फुचुक रानी .....देखू तरकारी सब आनि देलहुँ.......लाउ जलखई लाउ बड़ जोर सँ भूख लागल अछि ........आय कतेक दिन पर खीर खायब ।
पत्नी - खीर कि खायब ...कप्पार ....सब्त दूध पी गेल ।
विजय - दूध पी गेल .....?
विजय - दूध पी गेल अहाँ के काजे अहिना होइत अछि .....भनसा घरक दरबज्जा ओहिना खुजले छोरि देने होयबय....त पित नहीं त कि ........एक पाई घरक खेयाल नहि ........कतेक मोन छल आय खीर खयबाक ।
पत्नी - ओफ .....हम कहैत छी जे पहलवान दूध पी गेल
विजय - हाँ हाँ ....हमहू बुझैत छियै जे एहि इलाका के सब मूस आ बिलारि पहलवाने सन सन होइत छय.....एना जँ खुल्ला छूट भेंटतय आ लीटर के लीटर दूध पियत त पहलवान नहि होयत त की ।
पत्नी - अहाँ बुझैत कियैक नहि छी ।
विअजय - हम की बुझबय ....बुझियौ अहाँ ....ओह आई खीर खयबाक कतेक इच्छा छल ....एक त भोरे सँ चन्दा वाला सब ताहि पर सँ इ बज्रपात ।
पत्नी - हे भगवान ...अपने सुर में बजने जा रहल छथि ......हिनका के बुझाबय ......
(भीतर जाइत छथि आ एकटा ताला चाभी आनि क दैत छथि )
आब एको त के चन्दा नहि देबय ........हे लिय बाहर सँ ताला लगा दियोक आ पाछू सँ चलि आऊ ।
विजय - अरे कय दिन एना दरबज्जा बंद करि क रहब आ .....बाहरक दरबज्जा बंद क बेबी तs कि बिलारि नहि घुसत ......
पत्नी - ओह फेर वैह बात .....हे ये .......कोनो दोसर मोहल्ला में घर ताकि लिय ......
विजय - दोसर मोहल्ला ? हे ये कोन मोहल्ला एहि सँ बांचल अछि .....हाँ एकटा काज कs सकैत छी.....नौकरी तौकरी छोडि कs सासुर में डेरा जमा दैत छी .....तखैंह कोनो चन्दा वाला तंग नहि करत ....उनटे अहाँक बाबुजी सँ हमही मंथली चन्दा माँगैत रह्बैंह .....
पत्नी - दूर......अहाँ के तs सदिखन मजाके सुझैत अछि ....जाउ ताला लगा दियौ .......आई छुट्टी के दिन तs आराम सँ बितत।
(विजय जहिना ताला लगाबय के उपक्रम करय छथि एकटा तेलगू भाषी केर एक हाथ में रजिस्टर लेने प्रवेश )
तेलगू - नमस्कार श्री मान .....लगता है आप कहीं जाने वाले हैं .....आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा ....मैं आंध्रा का रहने वाला हूँ .........हमारा घर बार परिवार सब बाढ़ में बह गया ......कुछ नहि बचा ....आप कुछ मदद कीजिये ।(और भी कुछ कुछ तेलगू में बोलता है )
पत्नी - के आयल अछि .......(कहैत बाहर आबैत छथि )
विजय - भाई साहब आप क्या बोले हम कुछ नहीं समझे ।
तेलगू - हिन्दी आप हिन्दी ?
पत्नी - मैथिली हम मैथिली
विजय - ओह अहाँ चुप रहू.......हाँ हम हिन्दी
तेलगू -मैं आंध्रा का रहने वाला हूँ .........हमारा घर बार परिवार सब बाढ़ में बह गया ......कुछ नहीं बचा ....आप कुछ मदद कीजिये ।
विजय - भाई साहब मेरे पास चन्दा देने को कुछ नहीं है ......जाइए दूसरा घर देखिये ......
तेलगू - ऐसा मत कहिये भाई साहब .....अमां ....तुम तो समझती है ......कुछ नहीं बचा .....एक बीबी .....८ बच्चा .....४ बकरी .....२ भैंस .....२ कुत्ता ....सब था कुछ नहीं बचा .....तुम दयालु माँ ......तुम दयालु ....मदद करो .....
विजय - भाई साहब हमने कहा नही दूसरा घर देखिये ....
पत्नी - हे एना नहीं कहियौ ....देखियौ बेचारा के कि हाल छय ......सबके चन्दा दैत छियै ...एकरो किछु मदद करियौ ...
तेलगू - माँ ठीक बोलती है भाई साहब ....मदद करो
(रजिस्टर बढ़ा दैत अछि )
विजय - (रजिस्टर उलटैत ) हूँ ......की मदद करबय .....इ सब ढोंगी अछि .......देखियौ की लिखल छैक बगल वाला शर्मा जी के नाम पर ५०० रु.......भाई साहब इ शर्मा जी आपको ५०० रु. दिया है ।
तेलगू - हाँ
विजय - (डाँटेत) - सच सच बोलिए ....नहीं तो अभी शर्मा जी को बुलाता हूँ ।
तेलगू - (डराइत ) ५ रुपैया दिया २ जीरो हम अपना तरफ से लगाया ।
विजय - बुझालिये यैह धंधा छैक एकर ......बाढ़ी ताढी किछु नहि भेलैक इ एहि शहर के रहय वाला होयत झूठ बाजैत अछि ........सुनिए आप यहाँ से जाते हैं कि.........
तेलगू - अम्मा अम्मा हम झूठ नहीं बोलता
(गिरागिराबय लागैत अछि)
पत्नी - हे देखियौ कोना कानैत अछि .....दs दियौक २ टाका अहुँ ।
विजय - आ लिखी दियौ ५०० टाका ......लीजिये भाई साहब .....इ औरत सब के चलते ही आप लोगों को बढ़ावा मिलता है ........घर चलु आ ताला बंद कs दियौक।
तेलगू - धन्यवाद .....धन्यवाद ....मगर भाई साहब इतना गुस्सा ठीक नहीं .......अम्मा के जैसा दयालु बनिए ......अम्मा तुम तो लक्ष्मी है और तुम्हारा ये आदमी.....।
विजय - अब आप फूटते हैं यहाँ से कि .....
तेलगू - जाता भाई जाता काहे गरम होता .....
विजय - बुझालिये यैह धंधा छैक एकर ......बाढ़ी ताढी किछु नहि भेलैक इ एहि शहर के रहय वाला होयत झूठ बाजैत अछि ........सुनिए आप यहाँ से जाते हैं कि.........
तेलगू - अम्मा अम्मा हम झूठ नहीं बोलता
(गिरागिराबय लागैत अछि)
पत्नी - हे देखियौ कोना कानैत अछि .....दs दियौक २ टाका अहुँ ।
विजय - आ लिखी दियौ ५०० टाका ......लीजिये भाई साहब .....इ औरत सब के चलते ही आप लोगों को बढ़ावा मिलता है ........घर चलु आ ताला बंद कs दियौक।
तेलगू - धन्यवाद .....धन्यवाद ....मगर भाई साहब इतना गुस्सा ठीक नहीं .......अम्मा के जैसा दयालु बनिए ......अम्मा तुम तो लक्ष्मी है और तुम्हारा ये आदमी.....।
विजय - अब आप फूटते हैं यहाँ से कि .....
तेलगू - जाता भाई जाता काहे गरम होता .....
(प्रस्थान)
विजय - हूँ आब केकरो चन्दा नहीं देबय ....बाहर सँ ताला लगा दैत छियैक ....नहीं जानि आय केकर मुँह देखि क उठल रही ।
पत्नी - हम्मर
विजय - तैं इ हाल भेल
पत्नी - की कहलौं .....हमर मुँह कि खराब अछि ....
विजय - नहीं अहाँ तs चौहदवीं के चाँद छी
(ताबैत तीन चारि युवक केर प्रवेश)
पहला व्यक्ति - एकदम ठीक कहा आपने भाई साहब ....भाभी तो एकदम चौहदवीं का चाँद हैं ।
दूसरा व्यक्ति - अबे क्या कहता है भाभी तो श्री देवी हैं श्री देवी ।
विजय - अहाँ भीतर जाउ ।
तीसरा व्यक्ति - काहे भीतर जाने को कहते हैं भाभी को हमलोग कोनो उठा के थोड़े ले जाएँगे ।
चौथा व्यक्ति - भौजी से तनी दूगो मीठा मीठा बाते न करेंगे ....त इसमे आपका क्या घट जायेगा ।
विजय - अरे ....अहाँ जाय कियैक नहीं छी ......जाउ ।
(प्रस्थान) (चारों का ठहाका )
पहला व्यक्ति - अरे अरे उनको भगा दिया त अब बचा ही क्या है .....
दूसरा व्यक्ति - (कान में) लंगूर...
(चरों फिर ठहाका लगाते हैं)
विजय - तमीज़ से बात कीजिये ....किसी सभी आदमी के घर कैसे बात की जाती है इतना भी नहीं जानते .....
तीएसरा व्यक्ति - अरे ...अरे ....नाराज़ काहे होते हैं भाई साहब .....इतना तमीज़ से तो हम लोग पहली दफा बोल रहे हैं ।
विजय - अच्छा अच्छा ....बोलिए ?
चौथा व्यक्ति - क्या बोले .....शाला मूड तो ओफ कर दिया........निकालिए चन्दा ।
विजय - चन्दा .....किस चीज़ का.....
पहला व्यक्ति - चीज़ का नहीं पूजा का
दूसरा व्यक्ति - पूजा का ...किस पूजा का
तीसरा v यक्ति - ओ भाइ साहब कोनो पूजा समझ लीजिये काट दो भाइ २५० रु. का रसीद ।
विजय - २५० रु. का .......देखिये एक तो दादागिरी कर रहे हैं ऊपर से चन्दा .......हम चन्दा फंदा नहीं .......जाइए आप लोग
पहला व्यक्ति - सुनो भाइ ........इ चन्दा फंदा नहीं देंगे
दूसरा व्यक्ति - अरे का कहते हैं भाई साहब यहाँ तो मंथली चन्दा देता है सब आप से तो वार्षिक मांग रहे है .....दे दीजिये वरना ....
विजय - वरना क्या .....हम कहा न नहीं देगें ......जाइए जो मन में आए सो कर लीजिये
तीसरा व्यक्ति - चलो भाई लोग .....इ नहीं देंगे तो का कर लेंगे ....हमलोग चलो ।
चौथा व्यक्ति - चलते हैं चलते हैं ...तनि देक्ग ले की गोलिया बचा है कि नहीं ...
(पिस्तौल निकालकर गोली देखता है और फूंक मारता है ) तो भाई साहब चलें हमलोग ?
क्रमशः ......
तीएसरा व्यक्ति - अरे ...अरे ....नाराज़ काहे होते हैं भाई साहब .....इतना तमीज़ से तो हम लोग पहली दफा बोल रहे हैं ।
विजय - अच्छा अच्छा ....बोलिए ?
चौथा व्यक्ति - क्या बोले .....शाला मूड तो ओफ कर दिया........निकालिए चन्दा ।
विजय - चन्दा .....किस चीज़ का.....
पहला व्यक्ति - चीज़ का नहीं पूजा का
दूसरा व्यक्ति - पूजा का ...किस पूजा का
तीसरा v यक्ति - ओ भाइ साहब कोनो पूजा समझ लीजिये काट दो भाइ २५० रु. का रसीद ।
विजय - २५० रु. का .......देखिये एक तो दादागिरी कर रहे हैं ऊपर से चन्दा .......हम चन्दा फंदा नहीं .......जाइए आप लोग
पहला व्यक्ति - सुनो भाइ ........इ चन्दा फंदा नहीं देंगे
दूसरा व्यक्ति - अरे का कहते हैं भाई साहब यहाँ तो मंथली चन्दा देता है सब आप से तो वार्षिक मांग रहे है .....दे दीजिये वरना ....
विजय - वरना क्या .....हम कहा न नहीं देगें ......जाइए जो मन में आए सो कर लीजिये
तीसरा व्यक्ति - चलो भाई लोग .....इ नहीं देंगे तो का कर लेंगे ....हमलोग चलो ।
चौथा व्यक्ति - चलते हैं चलते हैं ...तनि देक्ग ले की गोलिया बचा है कि नहीं ...
(पिस्तौल निकालकर गोली देखता है और फूंक मारता है ) तो भाई साहब चलें हमलोग ?
क्रमशः ......
No comments:
Post a Comment