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Saturday, May 2, 2009

हिन्दी ग़ज़ल

ग़ज़ल


आज ज़िन्दगी का ऐसा एक दिन है,
बदन मेरे पास है सामने मेरा दिल है।
आज ज़िन्दगी ........ ।

मुद्दतों से सोचा था काश ऐसा दिन आये,
वो भी आये सामने साथ मेरा दिल लाये।
आज ज़िन्दगी ......... ।

शुक्रिया करुँ कैसे समझ नहीं आता,
ऐसी कहि गैर का कोई दिल है चुराता।
आज ज़िन्दगी ......... ।

दिल लुटा के मुझ जैसा सज़ा सिर्फ़ पाता,
कत्ल भी करें गर वो माफ़ हो जाता।
आज ज़िन्दगी ........... ।

-लल्लन प्रसाद ठाकुर-

Friday, May 1, 2009

हिन्दी ग़ज़ल

ग़ज़ल


सब सपना बन के मिले, कोई अपना बन के मिले ।

सुख जब साथी होता है,
लाख सहारे मिलते हैं,
फूलों की फुलवारी में,
फूल हमेशा खिलते हैं,
विरानो के आँगन में ,
बरसों में एक फूल खिले।

सब सपना बनके मिले कोई अपना बन के मिले।

सुख की उजली राहों पर,
हर राही चल सकता है,
घर की चारदीवारी में,
हर दीपक जल सकता है,
गम की तेज़ हवाओं में,
कोई कोई दीप जले।

सब सपना बन के मिले कोई अपना बन के मिले।

आबादी में चैन कहाँ,
ऐ दिल चल तनहाई में,
शायद मोती हासिल हो,
सागर की गहराई में,
अपना कोई मीत नहीं,
धरती पर आकाश तले।

सब सपना बन के मिले, कोई अपना बन के मिले।

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर
संगीतकार लल्लन प्रसाद ठाकुर