Tuesday, November 24, 2009

मैथिली गीत

सब एलय फगुआ में सजना ,
अहाँ बिना मोर आँगन सूना ।
सब एलय ............................।
चतुर्थिक राति अहाँ पढिते रहलहुँ ,
भोरे उठि कs अहाँ चलि देलहुँ ।
चिट्ठियो नहि देलहुँ खबरियो नहि लेलहुँ ,
जाइत काल एकोटा फोटुओ देलहुँ ।,
इहो नहि बुझलियय हम जीबय कोना ।
सब एलय ...................... ।
खूब पढू खूब पढू खूब पढू यौ ,
कखनो कs हमरो बिचारि करू यौ ,
लाल काकी के जोड़ा बेटा भेलैंह ,
सौंसे गामे के ओ भोज केलैन्ह ,
अपन कर्मक लिखल के मेटत के ,
ककरो एकोटा नहि ककरो भेंटय दूना ।
सब एलय ...................... ।

- लल्लन प्रसाद ठाकुर -

2 comments:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर पद्द,
भावपूर्ण कविता थीक,
ह्रदय के छू ललक.
बधाई

मनोज कुमार said...

नीक लागल।