Tuesday, June 9, 2009

मैथिली गीत

अहाँ हमर के छी ......२
स्वप्नक रानी प्रेम दिवानी
कोयल छी अछि पंचम वाणी
अहाँ हमर ............... ।
नयन अहाँ केर प्यासल प्यासल
काजरि सँ अछि सुन्दर साजल
डूबि कs देखि अथाह समुन्दर
अधलाह जँ ने मानी
अहाँ हमर ............. ।
ठोढक लाली मय केर प्याली
सोरहो बसंतक छी हरियाली
चंद्रमुख ई चमक रहल अछि
चमकय जेना चानी
अहाँ हमर ............ ।
धवल अंग पर कारी साडी
प्रेमक भौँरा अंग निहारी
अंगक रस हम पीबि रहल छी
आँख करय मनमानी
अहाँ हमर ............. ।
प्रणय गीत हम गाबि कहय छी
ह्रदय मे बस अहिं रहय छी
एक भs जाय दिय दुनु केर
बात हमर जँ मानी
अहाँ हमर .......... ।

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर

3 comments:

Anonymous said...

सुंदर, अति सुंदर,
निसंदेह मैथिलि में प्रेम केर ई अद्भुत अभिव्यक्ति थीक, प्रणय गीत के रस्वादन अहि गीत से कतेक ऊपर तक जा सकैत केर उदाहरण,
विराट व्यक्तित्व के रचना केर जगत के सामने राखै के लेल कुसुम जी आभार आ शुभकामना,

Divya Narmada said...

सुमधुर गीत लेखन हेतु शुभ कामना. 'दिव्यनर्मदा@जीमेल.कॉम' पर मैथिली की रचनाएँ प्रकाशनार्थ आमंत्रित हैं.

Unknown said...

Bahut nik lagal maithili ke prti agadh prem dekhi ka.