"श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर"
एक बहु आयामी व्यक्तित्व की पुन्य तिथि पर भाव भीनी श्रधांजलि
" गीत"
सब सपना बन के मिले, कोई अपना बन के मिले ।
सुख जब साथी होता है,
लाख सहारे मिलते हैं,
फूलों की फुलवारी में,
फूल हमेशा खिलते हैं,
विरानो के आँगन में ,
बरसों में एक फूल खिले।
सब सपना बनके मिले कोई अपना बन के मिले।
सुख की उजली राहों पर,
हर राही चल सकता है,
घर की चारदीवारी में,
हर दीपक जल सकता है,
गम की तेज़ हवाओं में,
कोई कोई दीप जले।
सब सपना बन के मिले कोई अपना बन के मिले।
आबादी में चैन कहाँ,
ऐ दिल चल तनहाई में,
शायद मोती हासिल हो,
सागर की गहराई में,
अपना कोई मीत नहीं,
धरती पर आकाश तले।
सब सपना बन के मिले, कोई अपना बन के मिले।
गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर
संगीतकार लल्लन प्रसाद ठाकुर