"मधुर मधुर बाजय बाँसुरिया रे "
- लल्लन प्रसाद ठाकुर -
मधुर मधुर बाजय बँसुरिया रे नाचे गोपी बाला
गोपी बाला गोपी बाला गोपी बाला ...
मधुर मधुर बाजय ............... ........
कान्हा जी के बाँसुरी के तान निराला
तान निराला कान्हा तान निराला
मन के मोहे इ बँसुरिया रे मन के मोहे इ बँसुरिया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय ....................
बँसुरिया सुनि सुनि राधा मन डोले
राधा मन डोले कान्हा राधा मन डोले
राधा के तों कान्हा रसिया रे राधा के तों कान्हा रसिया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय .......................
कखनो के राधा सोचथि बाँसुरी सौतनिया
बाँसुरी सौतनिया कान्हाँ बाँसुरी सौतनिया
मुख सँ लगौने गोसैंया रे मुख सँ लगौने गोसैंया रे नाचे गोपी बाला
मधुर मधुर बाजय ..............................